ज्योतिष विज्ञान का मानव जीवन से संबंध प्राचीन काल से चला आ रहा है। हजारों वर्षों पूर्व से हमारे ऋषि मुनि हमारे पूर्वज इस विज्ञान का उपयोग करते आ रहे है। आइए आज हम ज्योतिष शास्त्र के बारे कुछ बारीक तथ्यों के साथ अध्यन करते है। क्या है ज्योतिष विज्ञान, क्या है इसके तथ्य और क्यों इसकी आवश्यकता हुई?
ज्‍योतिष’ शब्‍द का अभिप्राय ज्‍योति (प्रकाश) से भरे होना है । ज्‍योति अर्थात प्रकाश , जिसके बिना किसी भी प्राणी का जीवन बिल्कुल अधूरा होता है। प्राचीन काल से ही मनुष्‍य अप्राप्‍य को प्राप्‍त करने अथवा उसके बारे में जानने के लिये प्रयत्न करते आया है । इसी इच्‍छा की पूर्ति का विकल्‍प ज्‍योतिष के रूप सृजित हुआ जिसमें भविष्‍य में होने वाली घटनाओं का फलादेश करने का उपक्रम किया जाता है । ज्‍योतिष शास्‍त्र मूलत: काल गणनाओं पर आधारित एक ऐसा विज्ञान है, जिसमें गणना जितना अधिक शुद्ध होगी, उतनी ही अधिक सत्य होगी

आइए हम जानते है ज्‍योतिष की आवश्‍यकता क्‍यों हुई?
कहते ‍है आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है। मनुष्य अपनी जिज्ञासा को शांत करने का हमेसा प्रयास करता रहा है।  सृष्टि की उलझनों को सुलझाने के इसी प्रयास को आज विज्ञान का नाम दिया गया। इसी प्रकार मनुष्‍य अपने जीवन में आगे क्‍या हो सकता है ? जीवन में जो हो रहा वह क्‍यों हो रहा है ? इन प्रश्‍नों के उत्‍तर जानने की जिज्ञासा मानव के मन में हमेशा से रही है। इन प्रश्‍नों के उत्‍तर ज्‍योतिष के माध्‍यम से प्राप्‍त किया जा सकता है । मानव देह में स्थित ग्रह मण्‍डल का सीधी संबंध वाह्य सौर मण्‍डल से होता है । अत: इनके अध्‍ययन से हम इस पर पड़ने वाले प्रभावों की व्‍याख्‍या कर सकते है।

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